गर्भपात के बाद लक्षण और गर्भपात की कंप्लीट इंफॉर्मेशन

गर्भपात होना किसी भी महिला के लिए काफी मुश्किल भरा समय होता है अगर किसी कारणवश महिला को गर्भपात की परिस्थिति से गुजरना पड़ता है तो गर्भपात के बाद लक्षण नजर आना काफी सामान्य सी बात होती है.  हम गर्भपात के बाद आने वाले लक्षणों को और दूसरी आवश्यक बातों को लेकर चर्चा कर रहे हैं. 



गर्भपात होना किसी भी महिला के लिए एक अच्छी स्थिति नहीं मानी जाती है.

  • प्रेगनेंसी के शुरुआती समय में गर्भपात होना,
  • 1 महीने के बाद गर्भपात होना,
  • 2 या 3 महीने के बाद गर्भपात होना
  • दूसरी या तीसरी तिमाही में गर्भपात हो जाना

इन सभी परिस्थितियों में काफी अंतर होता है. किसी भी महिला को गर्भपात प्रेगनेंसी के जितने शुरुआती समय में होता है शरीर को उतना ही आघात या परेशानी कम आती है शरीर को कम नुकसान होता है.

जितना जल्दी प्रेगनेंसी के शुरुआती समय में गर्भपात होता है. शरीर में उसने ही कम लक्षण नजर आते हैं.
प्रेगनेंसी के शुरू के 3 महीने में गर्भपात अन्य महीनों की तुलना में अधिक रहता है, बल्कि शुरू के 1 महीने में गर्भपात अक्सर हो जाता है, और महिला को पता भी नहीं चलता है.

गर्भपात के बाद लक्षण

गर्भपात के कारण

प्रेगनेंसी के पहले महीने में गर्भपात होना एक आम समस्या है. इस दौरान भ्रूण बहुत ही छोटा होता है, और प्रेगनेंसी की मात्र शुरुआत भी ढंग से नहीं होती है. ऐसे में अगर महिला को गर्भपात हो जाता है, तो अक्सर महिला को पता भी नहीं चलता है. बिल्कुल शुरुआती समय में गर्भ अत्यंत कमजोर होता है.  ऐसे में छोटी से छोटी समस्या की वजह से भी गर्भपात हो सकता है.
किसी भी गर्भवती स्त्री के लिए गर्भपात के कारण निम्नलिखित होते हैं.

  • महिला किसी ऐसी मेडिसन का प्रयोग कर रही है जो प्रेगनेंसी के नजरिए से ठीक नहीं है, शुरुआती समय में पहली तिमाही में गर्भपात का कारण बनता है.
  • अगर महिला अत्यधिक शारीरिक मेहनत कर लेती है और पेट की मांसपेशियों या पेट के निचले हिस्से पर दबाव आ जाता है तब भी गर्भपात हो जाता है.
  • अगर महिला का प्रजनन तंत्र कमजोर है तो उस परिस्थिति में भी गर्भपात हो सकता है जैसे कि गर्भाशय में फेलोपियन ट्यूब में या अन्य अंगों में कोई रोग होता है.
  • हारमोंस बैलेंस नहीं होने की स्थिति में पहली तिमाही में गर्भपात का कारण बनता है.
  • इंफेक्शन की वजह से भी कभी-कभी गर्भपात हो जाता है.
  • अंडे की गुणवत्ता में अगर कमी होती है, या स्पर्म की गुणवत्ता में कमी होती है तो गर्भपात हो जाता है.
  • अगर महिला के अंडाणु और पुरुष के स्पर्म का गठजोड़ सही तरीके से नहीं होता है, उस परिस्थिति में भी गर्भपात की स्थिति बन जाती है.
  • अगर महिला के शरीर में के लिए गर्भ के लिए पोषक तत्वों की कमी हो जाती है, उस परिस्थिति में भी गर्भपात हो जाता है.
  • महिला के इम्यून सिस्टम की कमजोरी की वजह से भी गर्भपात हो जाता है.
  • अगर गर्भवती महिला को पीसीओडी या पीसीओएस की समस्या होती है तब भी गर्भपात हो जाता है.
  • अगर महिला के गर्भाशय का आकार छोटा होता है तो उस परिस्थिति में भी यह समस्या आती है.
  • अगर महिला नशीली वस्तुओं का प्रयोग करती है, तो भी गर्भपात हो सकता है.
  • मिसकैरेज होने के बहुत सारे बाहरी कारण भी होते हैं, जैसे कि कोई एक्शन, चोट लगना, एक्सीडेंट इत्यादि.
  • थायराइड की समस्या में भी गर्भपात हो सकता है.
  • अगर प्रेगनेंसी हारमोंस की मात्रा में अचानक से बड़ा बदलाव आ जाता है, तो भी गर्भपात हो जाता है.
  • गर्भाशय कमजोर होने पर भी यह समस्या हो जाती है.
  • पहले महीने में गर्भपात के लक्षण
  • अक्सर महिलाओं को पेट दर्द की समस्या आ जाती है.
  • पेट के निचले हिस्से में दर्द या ऐठन की समस्या होती है.
  • महिला को ब्लड डिस्चार्ज हो जाता है.
  • महिलाओं को कई दिन लगातार अनियमित ब्लडिंग होती है.
  • खून के थक्के नजर आते हैं.
  • शुरुआती समय में गर्भपात होने से स्तनों में भारीपन या हल्का दर्द नजर आ सकता है.
  • कभी-कभी महिलाओं को उल्टी होने की समस्या भी नजर आती है.
  • पीरियड्स के दौरान होने वाली सभी समस्याएं एक साथ नजर आती हैं.
  • महिला को बेचैनी जैसी समस्या देखने में आती है.

गर्भपात के बाद सामान्य लक्षण

  • गर्भवती महिला को गर्भपात हो जाने पर प्रेगनेंसी के सारे लक्षण धीरे-धीरे समाप्त हो जाते हैं. जैसे-जैसे प्रेगनेंसी हार्मोन समाप्त होते हैं, वैसे वैसे लक्षण भी समाप्त होने लगते हैं.
  • गर्भपात हो जाने के बाद अचानक से महिला को स्तनों में अत्यधिक चुभन और दूध का प्रेशर नजर आता है. जितनी देर से गर्भपात होता है यह समस्या उतनी अधिक बड़ी होती है.
  • गर्भपात हो जाने के बाद महिलाओं को 7 दिन से या उससे अधिक दिनों तक लगातार ब्लडिंग की समस्या रहती है. जितना अधिक देर से गर्भपात होता है. उतनी ही अधिक दिनों तक रक्त स्राव की समस्या रहती है.
  • मासिक धर्म के दौरान होने वाले सभी अनुभव उस दौरान होते हैं, और उन अनुभवों में काफी तीव्रता होती है.
  • कमर दर्द, पेट के निचले हिस्से में दर्द या पेडू में दर्द जैसी समस्याएं देखने में आती है. कभी-कभी दर्द काफी तीव्र होता है.
  • रक्त स्राव लगातार काफी दिनों तक हो सकता है या रुक रुक कर भी होता है.
  • कुछ परिस्थितियों में गर्भपात सही तरीके से नहीं होने पर पेट में दर्द की गंभीर समस्या हो सकती है.
  • महिलाओं को कुछ दिनों तक बेचैनी की समस्या रहती है.
  • कभी-कभी बुखार भी आ जाता है.
  • सामान्य बिल्डिंग के साथ-साथ खून के थक्के या टुकड़े जाना

गर्भपात के बाद गर्भ की सफाई

गर्भपात के दौरान महिला के गर्भ से भ्रूण पूर्ण रूप से भी निकल जाता है. यह जरूरी नहीं है कि उसका कोई अंश महिला के गर्भाशय में रह गया हो.

लेकिन कभी-कभी यह रह जाता है उस परिस्थिति में गर्भपात के बाद गर्भाशय की सफाई अत्यधिक आवश्यक होती है.

गर्भपात के बाद गर्भ की सफाई को सुनिश्चित करना अत्यधिक आवश्यक होता है. अन्यथा यह गंभीर समस्या का कारण बन सकती है. अगर अनवांटेड उत्तक या भ्रूण का अंश शरीर के अंदर रह जाता है, तो गर्भाशय के अंदर रह जाता है. यह महिला के स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से ठीक नहीं रहता है. इंफेक्शन होने की संभावना बहुत अधिक रहती है. कुछ भी बड़ी समस्या महिला को भविष्य में हो सकती है. यहां तक कि महिला को भविष्य में दोबारा से मां बनने में भी समस्या आ जाती है.

इसलिए हमेशा सलाह दी जाती है, कि गर्भपात किसी भी डॉक्टर की निगरानी में होना चाहिए और उसमें प्रस्तावित सभी नियमों का पालन होना आवश्यक है.

अगर गर्भपात अचानक से हो जाता है तो उस परिस्थिति में डॉक्टर से एक बार चेकअप अवश्य करा देना चाहिए कहीं कोई कोशिकाएं शरीर के अंदर रह तो नहीं गई है.

अस्पताल में डी & सी प्रक्रिया के स्टैंडर्ड के आधार पर गर्भपात के बाद गर्भाशय की सफाई की जाती है.

गर्भपात के बाद गर्भ की सफाई में मात्र 20 से 25 मिनट का समय लगता है, क्यूरेट के द्वारा गर्भ की सफाई की जाती है.

गर्भपात के कितने दिन बाद प्रेगनेंसी टेस्ट करना चाहिए

प्रेगनेंसी के शुरुआती दिनों में होने वाले गर्भपात के दौरान गर्भपात के बाद प्रेगनेंसी टेस्ट करना आवश्यक होता है.

गर्भपात के दौरान महिला के गर्भ से भ्रूण पूर्ण रूप से भी निकल जाता है. यह जरूरी नहीं है कि उसका कोई अंश महिला के गर्भाशय में रह गया हो.

लेकिन कभी-कभी यह रह जाता है उस परिस्थिति में बच्चेदानी की सफाई अत्यधिक आवश्यक होती है.
प्रेगनेंसी टेस्ट इसलिए की जाती है ताकि इस बात का पता लगाया जा सके कि गर्भपात सक्सेसफुली सही तरीके से हुआ है या नहीं हुआ है.

अगर प्रेगनेंसी नेगेटिव आती है तो यह मान लिया जाता है कि महिला के गर्भ में भ्रूण का कोई भी अंश नहीं है, तो गर्भपात के बाद प्रेगनेंसी टेस्ट कब करें?

गर्भपात होते ही महिला के शरीर से सभी प्रेगनेंसी हारमोंस धीरे-धीरे कम होने लगते हैं और 8 से 10 दिन के अंदर यह समाप्त हो जाते हैं. अगर 10 दिन के बाद प्रेगनेंसी चेक करते हैं, तो प्रेगनेंसी नेगेटिव आनी चाहिए.
अगर प्रेगनेंसी नेगेटिव नहीं आ रही है तो इसका अर्थ यह हो सकता है कि अभी गर्भपात अपूर्ण है, तो दोबारा से गर्भपात के बाद प्रेगनेंसी टेस्ट कब करें?

इसके लिए आपको फिर 5 दिन बाद दोबारा से प्रेगनेंसी चेक करना चाहिए.

गर्भपात के बाद घरेलू उपचार

  • डिलीवरी के बाद या गर्भपात के बाद महिलाओं को शरीर को गर्म रखने के अधिक आवश्यकता होती है ऐसे में महिलाओं को गर्म तासीर के भोजन का प्रयोग लगातार अपने भोजन में करना चाहिए.
  • महिला को गर्म पानी से ही नहाने की आवश्यकता होती है.
  • गर्भपात के बाद महिला के शरीर से बहुत अधिक उर्जा का नाश होता है. इसलिए महिला को दोबारा से शरीर में ऊर्जा प्राप्त करने के लिए पौष्टिक भोजन की आवश्यकता होती है. इसके लिए महिलाओं को फलों का जूस और ड्राई फ्रूट्स इत्यादि का प्रयोग करना चाहिए.
  • महिला को इस प्रकार के भोजन खाने से बचना चाहिए जो दूध के प्रोडक्शन को बढ़ाते हैं, बल्कि ऐसे भोजन को प्रयोग में लाए जो दूध को कम करने के लिए जाने जाते हैं.
  • कमजोरी से बचने के लिए कुछ दिन लगातार आराम करना चाहिए.
  • अपने आप को हाइड्रेट रखने के लिए लगातार गुनगुना पानी सात से आठ गिलास रोजाना जरूर पिए.
  • गर्भपात से गुजरने वाली महिला को अकेले समय बिताने से परहेज करना चाहिए वरना मानसिक और भावनात्मक स्थिति बिगड़ने लगती है, और रिकवरी में समय लगता है.
  • तेल मालिश ऐसे में बहुत अधिक फायदेमंद हो सकती है. लेकिन मुलायम हाथ से ही मालिश करनी चाहिए.
  • 2 से 3 महीने तक भारी सामानों को उठाने से बचना है.
  • कम से कम 2 से 3 हफ्ते तक पार्टनर के संपर्क में नहीं आना है. योगाचार्य की सलाह पर आवश्यक योगासन अवश्य करें, हल्के-फुल्के योगासन और प्राणायाम इत्यादि.  हैवी एक्सरसाइज से बचें.

गर्भपात के कितने दिन बाद संबंध बनाना चाहिए

गर्भपात के बाद कितने दिनों बाद संबंध बनाना चाहिए यह अपने आप में काफी महत्वपूर्ण प्रश्न है. सबसे पहले यह बात देखनी होगी कि संबंध बनाने का क्या उद्देश्य है.हालांकि यह बात अटपटी लग सकती है, लेकिन यह बहुत महत्वपूर्ण है.

अगर आप संतान प्राप्ति के उद्देश्य से संबंध बनाने की इच्छा रखते हैं, तो आपको संतान प्राप्ति के लिए लगभग 3 महीने तक का इंतजार करना आवश्यक है. क्योंकि शरीर गर्भपात के बाद कमजोर हो जाता है, और उसे रिकवरी में कम से कम 3 महीने का समय लगता है. यह रिकवरी पुनः गर्भधारण करने के लिए आवश्यक होती है.

अगर आप आपका उद्देश्य गर्भधारण नहीं है तो लगभग 21 दिनों के बाद आप अपने पार्टनर के करीब आ सकते हैं.
गर्भपात के कितने दिन बाद पीरियड आता है.

प्रेगनेंसी के कितने दिनों बाद पीरियड आएगा यह बिल्कुल भी निश्चित नहीं होता है. यह महिला के शरीर पर निर्भर करता है.

अगर प्रेगनेंसी के शुरुआती दिनों में गर्भपात हो जाता है, तो कभी-कभी महिला को पता भी नहीं चलता है और उसका पीरियड साइकिल सामान्य ही रहता है.

लेकिन जैसे-जैसे प्रेगनेंसी अधिक दिनों की हो जाती है और उसके बाद गर्भपात होता है तो महिला के पीरियड कभी-कभी अपने समय पर या अपनी साइकिल पर ही आते हैं.  कुछ परिस्थितियों में पीरियड 1 से 2 महीने मिस हो जाते हैं.

कभी-कभी क्या होता है कि गर्भपात जबरदस्ती कराया जाता है तो उस परिस्थिति में शरीर बहुत मुश्किल से इस कार्य के लिए तैयार होता है और शरीर को अधिक आघात पहुंचता है. ऐसे में 2 से 3 महीने भी पीरियड कभी-कभी मिस हो जाते हैं या कुछ महीनों के लिए अनियमित भी हो जाते हैं.  जिसे दोबारा से ट्रीटमेंट लेकर नियमित कराया जाता है क्योंकि जबरदस्ती गर्भपात एक प्रकार से शरीर की प्रोसेस को तोड़ने का कार्य करता है.

जितने अधिक दिनों की प्रेग्नेंसी गर्भपात के लिए जाती है, पीरियड्स को नियमित होने में उतना ही अधिक समय लगता है और यह बिल्कुल भी निश्चित नहीं होता है.

दोबारा से पीरियड नियमित होने में या पीरियड आने में आपके द्वारा लिया गया ट्रीटमेंट और आपके द्वारा लिया गया भोजन और आपके शरीर की प्रकृति सभी मायने रखती है.

माना जाता है कि अबॉर्शन के लगभग 4 से 6 सप्ताह के बीच में महिला को दोबारा से पीरियड शुरू हो जाते हैं.

गर्भपात के बाद कमजोरी दूर करने के उपाय

गर्भपात के कारण महिला के शरीर की काफी सारी ऊर्जा का नाश होता है.  इसलिए शरीर को दोबारा से रिकवर करने में थोड़ा समय लगता है, और इसके लिए कुछ विशेष बातों का भी ध्यान रखने की आवश्यकता होती है.

  • महिला को भावनात्मक रूप से और मानसिक रूप से मजबूत होना अत्यधिक आवश्यक होता है, यह शारीरिक शक्ति को बढ़ाने में बहुत आवश्यक है.
  • शरीर को दोबारा मजबूती प्रदान करने के लिए मालिश करना बहुत अच्छा ऑप्शन है.
  • महिलाओं को अपने शरीर को हाइड्रेट रखना चाहिए. यह भी शक्ति बढ़ाने के लिए आवश्यक है.
  • पौष्टिक भोजन हमेशा से शक्ति बढ़ाने का एक सबसे अच्छा ऑप्शन रहता है.
  • महिला को पर्याप्त मात्रा में आराम करने की आवश्यकता होती है.
  • महिला को शरीर को गर्म रखने की हमेशा कोशिश करनी है. गर्म पानी से ही नहाना है. गुनगुना पानी ही पीना है, और गर्म तासीर का भोजन ही लेना है.

गर्भपात की गोली के बाद पेट में दर्द

गर्भपात के लिए अगर गर्भपात की गोली का प्रयोग किया जाता है, तो यह शरीर में पहुंचते ही शरीर के सभी प्रकार के हारमोंस को डिसबैलेंस कर देती है. शरीर तुरंत गर्भाशय में उपस्थित भ्रूण को शरीर से बाहर निकलने की निकालने की प्रोसेस शुरू कर देता है.

इससे पहले इम्यून सिस्टम भी कमजोर हो जाता है. इम्यून सिस्टम कमजोर होते ही शरीर में बैक्टीरिया इन्फेक्शन का खतरा बढ़ जाता है. कभी-कभी गर्भाशय में इंफेक्शन हो जाने की वजह से पेट दर्द की समस्या बन जाती है.

अचानक से हारमोंस की मात्राओं में परिवर्तन की वजह से भी यह समस्या उत्पन्न हो जाती है क्योंकि यह हारमोंस मात्र प्रेगनेंसी के लिए ही नहीं अपितु शरीर की दूसरी आवश्यक क्रियाओं के लिए भी कार्य करते हैं और शरीर की व्यवस्था एक प्रकार से काफी हद तक ध्वस्त हो जाती है, और मांसपेशियों में ऐंठन की वजह से पेट दर्द हो सकता है.

पेट और कमर में दर्द, उल्टी, ब्रेस्ट पेन, ठंड लगना, चक्कर आना, डायरिया और वैजाइनल डिस्चार्ज जैसे कुछ सामान्य लक्षण अबॉर्शन में दिखाई देते हैं.

गर्भपात के बाद पेट फूलना

गर्भपात के बाद काफी सारे लक्षण महिलाओं को नजर आते हैं. उनमें से एक लक्षण महिलाओं को पेट फूलना महसूस होना, यह भी होता है.  यह लक्षण 10 से 15 दिन के बाद धीरे-धीरे समाप्त होने लगते हैं.

अगर ऐसा नहीं होता है, तो यह संक्रमण की तरफ इशारा करता है. इस अवस्था में डॉक्टर से संपर्क करने की आवश्यकता होती है.

सुरक्षित गर्भपात क्या है, सफल गर्भपात के लक्षण

शरीर के दृष्टिकोण से गर्भपात एक ठीक कार्य नहीं माना जाता है. इसलिए सुरक्षित गर्भपात, असुरक्षित गर्भपात जैसी कोई टर्म्स एंड कंडीशन नहीं होती है. यह मात्र एक भ्रम है.

गर्भपात से शरीर को नुकसान होता है और नुकसान कम से कम हो इसे ही सुरक्षित गर्भपात कहा जा सकता है.
सफल गर्भपात और असफल गर्भपात कुछ नहीं होता है. गर्भपात एक शरीर को नुकसान पहुंचाने वाली क्रिया होती है. इससे हमेशा बचना चाहिए.

इससे महिला के शरीर को काफी अधिक नुकसान होता है. सफल और असफल गर्भपात दोनों के ही लक्षण एक समान होते हैं. बल्कि पूर्ण और अपूर्ण गर्भपात यह सही शब्द है.

अगर गर्भपात के बाद महिला के पीरियड 10 दिन के अंदर अंदर समाप्त हो जाते हैं और अगले 4 से 6 हफ्तों के बाद दोबारा से पीरियड आ जाते हैं तो यह एक सफल गर्भपात माना जा सकता है.

गर्भपात के बाद अगर 8 - 10 दिन के बाद दोबारा से प्रेगनेंसी चेक की जाती है, और प्रेगनेंसी नेगेटिव आती है, तो यह एक पूर्ण या सफल गर्भपात होता है.

गर्भपात के बाद कितने दिन आराम करना चाहिए

गर्भपात के बाद कितने दिन आराम करना चाहिए, यह बिल्कुल भी निश्चित नहीं होता है. यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप का गर्भपात कितने महीने का हुआ है.

जितना अधिक महीने का गर्भपात होता है, उतनी ही अधिक आराम करने की आवश्यकता एक महिला को होती है.
अगर गर्भपात शुरू के 1 महीने में ही हो जाता है, तो महिला को लगभग 1 हफ्ते का आराम काफी होता है.

जैसे-जैसे महिला का गर्भ बड़ा होता जाता है, और गर्भपात कुछ महीनों के बाद होता है, तो महिलाओं को लगभग 21 दिन तक आराम करने की आवश्यकता पड़ सकती है.

किसी महिला को कितना आराम करना चाहिए, यह उसके अपने स्वास्थ्य पर भी काफी हद तक निर्भर करता है.

बार-बार गर्भपात करने से क्या होता है

बार-बार लगातार गर्भपात होने से महिला के मां बनने की क्षमता में कमी आने लगती है. बार बार गर्भपात होने से गर्भाशय ग्रीवा कमजोर होने लगता है, और भविष्य में प्रेगनेंसी होने पर समय से पहले डिलीवरी होने की संभावना बनी रहती है.

कैसे पता करने के लिए गर्भपात पूरा हो गया है

गर्भपात पूरा हो गया है इसे जानने के वर्तमान में 2 तरीके हो सकते हैं.

गर्भपात होने के 10 दिन के अंदर आप दोबारा से प्रेगनेंसी चेक करें. अगर प्रेगनेंसी नेगेटिव आती है, तो यह गर्भपात कंप्लीट होने की तरफ इशारा करता है. हालांकि काफी कम मात्रा में इनकंप्लीट प्रेगनेंसी में भी यह रिजल्ट आ सकता है.

सबसे बेस्ट तरीका यही होता है कि आप अल्ट्रासाउंड के माध्यम से यह पता करें कि गर्भपात के बाद कोई टिशू गर्भाशय के अंदर उपस्थित है या नहीं है. यही सबसे विश्वसनीय तरीका है.

गर्भपात के बाद सावधानियां

गर्भपात के बाद सावधानियां रखने की आवश्यकता होती है जैसे कि --

  • महिला को आराम करना अत्यधिक आवश्यक होता है.
  • गर्म तासीर के भोजन को लगभग 21 दिन तक अवश्य ले.
  • मेहनत वाला काम करने से बचें.
  • अपने शरीर को हाइड्रेट रखें.
अगर आप आगे दोबारा मां बनना चाहती है, तो फिर आपको कुछ छोटी-छोटी बातों का और ध्यान रखने की आवश्यकता होती है.
  • प्रेगनेंसी के गर्भपात के कारणों का पता अवश्य लगाएं.
  • 3 महीने के बाद ही दोबारा अगली प्रेगनेंसी के लिए कोशिश करें.
  • सारे आवश्यक चेकअप अवश्य कराएं ताकि गर्भपात के कारणों का पता चल सके.
  • डॉक्टर के सानिध्य में ही अगली प्रेगनेंसी को आगे बढ़ाएं.
  • दोबारा गर्भपात ना हो इसके लिए अपने भोजन का विशेष ध्यान रखें.
  • डॉक्टर के द्वारा दिए गए सभी दिशा निर्देश का सख्ती से पालन करें.

आपके प्रश्न

Q. गर्भपात के बाद क्या करे?

Ans: गर्भपात के बाद महिला को आराम करने की सख्त आवश्यकता होती है. जब तक कि वह अपने आप को स्वस्थ महसूस नहीं करें. महिला के शरीर में अत्यधिक कमजोरी आ जाती है. इसलिए उसे पौष्टिक आहार की भी आवश्यकता होती है, और अगर आपको दोबारा से प्रेगनेंसी चाहिए तो गर्भपात के कारणों का पता अवश्य लगवाएं.

Q. गर्भपात के कितने दिन बाद माहवारी आती है?

Ans: यह बिल्कुल भी निश्चित नहीं होता है, की महामारी कितने दिनों के बाद आएगी. यह महिला के अपने स्वास्थ्य पर और गर्भपात कितने महीने बाद हुआ है. इस पर निर्भर करता है. माना जाता है कि गर्भपात के 5 से 8 हफ्तों के बीच में महावारी दोबारा से शुरू हो जाती है. कभी-कभी महावारी अनियमित भी हो जाती है.

Q. गर्भपात के बाद पीठ दर्द के क्या कारण है?

Ans: अगर गर्भपात के बाद पीठ दर्द की समस्या अधिक नजर आ रही है, तो इस स्थिति में डॉक्टर से सलाह अवश्य लेनी चाहिए. कभी-कभी ऐसा होता है, कि गर्भाशय में थक्के बनने के कारण भी पीठ दर्द की समस्या नजर आती है. लेकिन गर्भाशय में थक्के बनना भी सही नहीं है.

Q. अपूर्ण गर्भपात की दवा क्या होती है?

Ans: अपूर्ण गर्भपात की कोई भी दवा नहीं होती है. इसके लिए आपको डॉक्टर से कंसल्ट करके बच्चेदानी की सफाई कराने की आवश्यकता होती है. वरना गर्भाशय में इंफेक्शन का खतरा बहुत अधिक बन जाता है, जो आपको आगे मां बनने में भी समस्या पैदा कर सकता है.

Q. गर्भपात के बाद प्रेगनेंसी टेस्ट कब करें?

Ans: 10 दिन के बाद आप प्रेगनेंसी किट के द्वारा प्रेगनेंसी टेस्ट कर सकते हैं.

Q. अधूरे गर्भपात के लक्षण क्या है?

Ans: अधूरे गर्भपात और पूर्ण गर्भपात दोनों के लक्षण एक जैसे ही होते हैं. पूर्ण गर्भपात में लक्षण धीरे-धीरे समाप्त हो जाते हैं और अधूरे गर्भपात में लक्षण धीरे-धीरे बढ़ने लगते हैं. खासकर इंफेक्शन होने का डर अधिक रहता है तो पेट दर्द ऐसे समस्या बढ़ जाती है.

Q. गर्भपात के बाद का भोजन कैसा करें?

Ans: गर्भपात के बाद गर्म तासीर का भोजन करना चाहिए. लगभग 21 दिन तक लगातार गर्म तासीर का ही भोजन करें. गर्म पानी से नहाए और हल्का गर्म पानी ही पीना है.


और नया पुराने