नमस्कार दोस्तों दोस्तों हम सभी जानते हैं कि प्रेगनेंसी में किसी भी महिला को बहुत ज्यादा अपना ध्यान रखने की आवश्यकता होती है उसे मानसिक शारीरिक दोनों तौर से प्रेग्नेंसी के समय तैयार होना पड़ता है ताकि महिला का गर्भ शिशु अच्छे ढंग से पोषण प्राप्त कर पाए स्वस्थ रहे.
इसके लिए महिला को काफी ज्यादा सावधानी रखने की आवश्यकता होती है खासकर उन महिलाओं को तो विशेषकर ध्यान रखना चाहिए जो कि पहली बार मां बन रही होती है जो महिलाएं पहले भी मां बन चुकी होती हैं.
उन्हें इस बात का एक्सपीरियंस रहता है तो उनके लिए कठिनाई कम होती है लेकिन जो बहने पहली बार मां बन रही है उन्हें विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता होती है.
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आज हम अपने इस POST के माध्यम से तनाव को लेकर चर्चा करने वाले हैं कि यह किस प्रकार से महिलाओं को परेशान कर सकता है प्रेग्नेंसी के समय उनके बच्चे पर किस प्रकार का नेगेटिव प्रभाव डाल सकता है ..
अक्सर हर व्यक्ति तनाव को हल्के में ले लेता है क्योंकि तनाव का कोई भी सीधा असर हमारे शरीर पर नजर नहीं आता है इस वजह से हम उसकी गंभीरता को समझ ही नहीं पाते हैं यह इनडायरेक्ट तरीके से हमें बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचाता है.
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प्रेगनेंसी में तनाव के असर को समझने के लिए पहले यह समझना होगा कि तनाव होता क्या है यह कैसे कार्य करता है मतलब कैसे नुकसान पहुंचा सकता है,
हम सभी जानते हैं कि हमारी सारी गतिविधियों को हमारा मस्तिष्क कंट्रोल करता है अगर महिला गर्भवती होती है तो हमारा शरीर थोड़ा सा कमजोर हो जाता है रोग जल्दी पकड़ते हैं उसका कारण क्या है कि जो हमारा इम्यून सिस्टम है, वह हमारे शरीर के साथ साथ बच्चे की भी देखभाल करने रखता है. और उसकी प्राथमिकता बच्चा होता है. और उसकी दूसरी प्राथमिकता हमारा शरीर होता है तो वह पहले बच्चे की रक्षा करता है.
इसके लिए महिला को काफी ज्यादा सावधानी रखने की आवश्यकता होती है खासकर उन महिलाओं को तो विशेषकर ध्यान रखना चाहिए जो कि पहली बार मां बन रही होती है जो महिलाएं पहले भी मां बन चुकी होती हैं.
उन्हें इस बात का एक्सपीरियंस रहता है तो उनके लिए कठिनाई कम होती है लेकिन जो बहने पहली बार मां बन रही है उन्हें विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता होती है.
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अक्सर हर व्यक्ति तनाव को हल्के में ले लेता है क्योंकि तनाव का कोई भी सीधा असर हमारे शरीर पर नजर नहीं आता है इस वजह से हम उसकी गंभीरता को समझ ही नहीं पाते हैं यह इनडायरेक्ट तरीके से हमें बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचाता है.
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प्रेगनेंसी में तनाव के असर को समझने के लिए पहले यह समझना होगा कि तनाव होता क्या है यह कैसे कार्य करता है मतलब कैसे नुकसान पहुंचा सकता है,
हम सभी जानते हैं कि हमारी सारी गतिविधियों को हमारा मस्तिष्क कंट्रोल करता है अगर महिला गर्भवती होती है तो हमारा शरीर थोड़ा सा कमजोर हो जाता है रोग जल्दी पकड़ते हैं उसका कारण क्या है कि जो हमारा इम्यून सिस्टम है, वह हमारे शरीर के साथ साथ बच्चे की भी देखभाल करने रखता है. और उसकी प्राथमिकता बच्चा होता है. और उसकी दूसरी प्राथमिकता हमारा शरीर होता है तो वह पहले बच्चे की रक्षा करता है.
उसके बाद हमारे शरीर की रक्षा करता है इस वजह से शरीर कमजोर हो जाता है बीमारियां जल्दी लगती है तो यह हमारे इम्यून सिस्टम के काम करने का तरीका है,
यही तरीका हमारे मस्तिष्क के काम करने का भी है वह अपने कार्य की प्राथमिकता को सेट करता है. गर्भवती महिलाओं में हमारे मस्तिष्क की प्राथमिकता होती है गर्भ शिशु की देखभाल और उसकी जरूरतों को पूरा करना उसके बाद उसकी दूसरी प्राथमिकता होती है .
हमारा शरीर अगर हमारा मस्तिष्क ठीक ढंग से कार्य नहीं करेगा तो सारा सिस्टम बिगड़ जाता है.
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जब किसी गर्भवती महिला को या किसी भी महिला को या किसी भी पुरुष को जब तनाव होता है तो उसके पीछे कोई ना कोई परेशानी होती है,
उस परेशानी की वजह से हमें तनाव हो रहा है.
और हमारा मस्तिष्क नहीं चाहता कि हम परेशान रहे तो वह उस परेशानी का जिसकी वजह से हमें तनाव हो रहा है जिसे हम बहुत ज्यादा सोच रहे हैं तो मस्तिष्क क्या करता है कि उस परेशानी का सलूशन ढूंढने में लग जाता है और अपने सारे काम एक तरफ रख देता है.
ऐसी अवस्था में ना तो वह शरीर का इतना ध्यान रख पाता है और ना ही गर्भस्थ शिशु का इतना ध्यान रख पाता है अब यह तनाव एक या 2 दिन के लिए होता है तो कोई परेशानी वाली बात नहीं है शरीर फिर से रफ्तार पकड़ लेता है.
लेकिन अगर यह तनाव लगातार कई दिनों, हफ्तों, महीने तक चलता है तो यह गर्भस्थ शिशु के लिए नुकसानदायक होता है.
2 दिन अगर बॉस नहीं भी आता है तो कोई फर्क नहीं पड़ता है महीने के अंत में सारा का सारा कार्य जितना भी कंपनी को करना होता वह पूरा हो जाता है.
अगर यही बॉस 1 महीने तक ऑफिस ना आए ना ही एंप्लाइज को उनका कार्य ढंग से मिले और बॉस की अनुपस्थिति में वह कार्य ढंग से कर भी नहीं पाएंगे, ना ही करते हैं तो आप 1 महीने के बाद देखोगे की उनका जो भी इनकम 1 महीने में ऑफिस का होता है वह इस महीने उतना हो ही नहीं पाएगा क्योंकि उनको मैनेज करने वाला, उन्हें कार्य को ढंग से कराने के लिए बॉस ही नहीं है.
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आप अपने शरीर को कंपनी और मस्तिष्क को बॉस समझिए बॉस की अनुपस्थिति में जो हाल ऑफिस का होता है वही हाल मस्तिष्क के अब्सेंस में शरीर के सारे कार्य अस्त व्यस्त रहेंगे.
अगर किसी गर्भवती महिला को टेंशन रहती है तो उसके मस्तिष्क का एक कार्य और बढ़ जाता है वह शरीर की देखभाल के साथ साथ,
गर्भस्थ शिशु की देखभाल के साथ साथ
टेंशन जिस वजह से है उसके उपाय को भी खोजता है.
और टेंशन हमेशा उसकी प्रायोरिटी रहती है क्योंकि टेंशन शरीर के मालिक को हो रही है तो वह कार्य हमेशा नंबर वन पर होता है जिस वजह से बच्चे की देखभाल में कमी आ जाती है आप अच्छे से खा रहे हो आप अच्छे से पी रहे हो सब कुछ बढ़िया कर रहे हो लेकिन शरीर के अंदर जाकर उसका मैनेजमेंट ठीक से नहीं हो पा रहा है क्योंकि आपको टेंशन है.
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तो आप समझ ही गए होंगे कि प्रेग्नेंसी के समय गर्भावस्था के दौरान अगर आपको तनाव है तो यह कितना खतरनाक हो सकता है हम फिर से कहते हैं आपको एक आद दिन के लिए तनाव हो जाता है 10 दिन नहीं होता है. फिर से एक-दो दिन हो गया तो कोई दिक्कत वाली बात नहीं है.
आपको तनाव लगातार नहीं रहना चाहिए यह बच्चे के लिए नुकसानदायक होता है, और साथ ही आपके शरीर में कई प्रकार के रोग भी पैदा करने की क्षमता रखता है.
यही तरीका हमारे मस्तिष्क के काम करने का भी है वह अपने कार्य की प्राथमिकता को सेट करता है. गर्भवती महिलाओं में हमारे मस्तिष्क की प्राथमिकता होती है गर्भ शिशु की देखभाल और उसकी जरूरतों को पूरा करना उसके बाद उसकी दूसरी प्राथमिकता होती है .
हमारा शरीर अगर हमारा मस्तिष्क ठीक ढंग से कार्य नहीं करेगा तो सारा सिस्टम बिगड़ जाता है.
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कब आता है तनाव - Kab Hota hai Tanav
जब किसी गर्भवती महिला को या किसी भी महिला को या किसी भी पुरुष को जब तनाव होता है तो उसके पीछे कोई ना कोई परेशानी होती है,
उस परेशानी की वजह से हमें तनाव हो रहा है.
और हमारा मस्तिष्क नहीं चाहता कि हम परेशान रहे तो वह उस परेशानी का जिसकी वजह से हमें तनाव हो रहा है जिसे हम बहुत ज्यादा सोच रहे हैं तो मस्तिष्क क्या करता है कि उस परेशानी का सलूशन ढूंढने में लग जाता है और अपने सारे काम एक तरफ रख देता है.
ऐसी अवस्था में ना तो वह शरीर का इतना ध्यान रख पाता है और ना ही गर्भस्थ शिशु का इतना ध्यान रख पाता है अब यह तनाव एक या 2 दिन के लिए होता है तो कोई परेशानी वाली बात नहीं है शरीर फिर से रफ्तार पकड़ लेता है.
लेकिन अगर यह तनाव लगातार कई दिनों, हफ्तों, महीने तक चलता है तो यह गर्भस्थ शिशु के लिए नुकसानदायक होता है.
इसे एक उदाहरण से समझते हैंएक कंपनी है जिसमें बॉस रोज आता है वह टारगेट सेट करता है एंप्लोई टारगेट को पूरा करते हैं सारा काम सही से चल रहा है.
2 दिन अगर बॉस नहीं भी आता है तो कोई फर्क नहीं पड़ता है महीने के अंत में सारा का सारा कार्य जितना भी कंपनी को करना होता वह पूरा हो जाता है.
अगर यही बॉस 1 महीने तक ऑफिस ना आए ना ही एंप्लाइज को उनका कार्य ढंग से मिले और बॉस की अनुपस्थिति में वह कार्य ढंग से कर भी नहीं पाएंगे, ना ही करते हैं तो आप 1 महीने के बाद देखोगे की उनका जो भी इनकम 1 महीने में ऑफिस का होता है वह इस महीने उतना हो ही नहीं पाएगा क्योंकि उनको मैनेज करने वाला, उन्हें कार्य को ढंग से कराने के लिए बॉस ही नहीं है.
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आप अपने शरीर को कंपनी और मस्तिष्क को बॉस समझिए बॉस की अनुपस्थिति में जो हाल ऑफिस का होता है वही हाल मस्तिष्क के अब्सेंस में शरीर के सारे कार्य अस्त व्यस्त रहेंगे.
अगर किसी गर्भवती महिला को टेंशन रहती है तो उसके मस्तिष्क का एक कार्य और बढ़ जाता है वह शरीर की देखभाल के साथ साथ,
गर्भस्थ शिशु की देखभाल के साथ साथ
टेंशन जिस वजह से है उसके उपाय को भी खोजता है.
और टेंशन हमेशा उसकी प्रायोरिटी रहती है क्योंकि टेंशन शरीर के मालिक को हो रही है तो वह कार्य हमेशा नंबर वन पर होता है जिस वजह से बच्चे की देखभाल में कमी आ जाती है आप अच्छे से खा रहे हो आप अच्छे से पी रहे हो सब कुछ बढ़िया कर रहे हो लेकिन शरीर के अंदर जाकर उसका मैनेजमेंट ठीक से नहीं हो पा रहा है क्योंकि आपको टेंशन है.
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तो आप समझ ही गए होंगे कि प्रेग्नेंसी के समय गर्भावस्था के दौरान अगर आपको तनाव है तो यह कितना खतरनाक हो सकता है हम फिर से कहते हैं आपको एक आद दिन के लिए तनाव हो जाता है 10 दिन नहीं होता है. फिर से एक-दो दिन हो गया तो कोई दिक्कत वाली बात नहीं है.
आपको तनाव लगातार नहीं रहना चाहिए यह बच्चे के लिए नुकसानदायक होता है, और साथ ही आपके शरीर में कई प्रकार के रोग भी पैदा करने की क्षमता रखता है.
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