बहुत सी महिलाओं का यह प्रश्न होता है, क्या थायराइड में प्रेगनेंसी नहीं होती है. थायराइड में प्रेगनेंसी हो जाती है लेकिन यह थोड़ा मुश्किल कार्य होता है.
दोस्तों अगर आपको थायराइड की प्रॉब्लम पहले से ही है. आप गर्भवती नहीं हो पा रही है. थायराइड की प्रॉब्लम रहते हुए किस प्रकार से गर्भाधान किया जाए. इसके संबंध में हम आपसे चर्चा करने वाले हैं.
मासिक चक्र नियमित होने की वजह से महिला का ovulation पीरियड भी डिस्टर्ब हो जाता है.
किसी भी महिला के गर्भवती होने में उसका ovulation पीरियड बहुत महत्वपूर्ण होता है.
क्योंकि इसी पीरियड के दौरान महिला के शरीर में अंडे अवेलेबल होते हैं. जिनके द्वारा गर्भ स्थापित किया जाता है. थायराइड की समस्या के कारण यह प्रक्रिया बाधित हो जाती है. और महिला का गर्भधारण काफी मुश्किल हो जाता है.
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इस टेस्ट के जरिए थायराइड की स्थिति का पता चलता है. और उसी के अनुसार इलाज किया जाता है. ताकि मां और शिशु दोनों स्वस्थ रहें.
अगर आप अभी तक गर्भवती नहीं है, और आपने थायराइड चेक कराया है. तो तीन स्थितियां हो सकती हैं
या तो आपका थायराइड हारमोंस लेवल कम होगा.
या तो आपके शरीर का हारमोन लेवल सामान्य होगा.
या फिर आपके शरीर में हार्मोन लेवल आवश्यकता से अधिक अर्थात सामान्य से ज्यादा होगा.
इन सब परिस्थितियों में सामान्य होना सबसे ज्यादा जरूरी होता है. अगर थायराइड हार्मोन आपके शरीर में सामान्य से कम या ज्यादा बन रहा है, तो यह थायराइड की समस्या होती है.
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इस परिस्थिति में डॉक्टर आपको एंटी थायराइड मेडिसिंस का प्रयोग करके आपके थायराइड लेवल को मेंटेन करेंगे और उसके बाद चेक करेंगे.
फिर उसके बाद जब आपका थायराइड लेवल सामान्य हो जाएगा तो उसके बाद आपको प्रेगनेंसी के लिए हरी झंडी दे सकते हैं.
वहीं अगर आपको थायराइड की गंभीर समस्या है, तो इसके लिए डॉक्टर रेडियोएक्टिव आयोडीन या फिर सर्जरी करके आप का इलाज करते हैं.
दोस्तों अगर आपको थायराइड की प्रॉब्लम पहले से ही है. आप गर्भवती नहीं हो पा रही है. थायराइड की प्रॉब्लम रहते हुए किस प्रकार से गर्भाधान किया जाए. इसके संबंध में हम आपसे चर्चा करने वाले हैं.
थायराइड में प्रेग्नेंट ना होने का कारण - Thyroid mein pregnent na hone ka kaaran
अगर किसी गर्भवती महिला को थायराइड की शिकायत होती है. इसकी सबसे बड़ी प्रॉब्लम यह होती है कि महिला का मासिक चक्र जो है, वह अनियमित हो जाता है.मासिक चक्र नियमित होने की वजह से महिला का ovulation पीरियड भी डिस्टर्ब हो जाता है.
किसी भी महिला के गर्भवती होने में उसका ovulation पीरियड बहुत महत्वपूर्ण होता है.
क्योंकि इसी पीरियड के दौरान महिला के शरीर में अंडे अवेलेबल होते हैं. जिनके द्वारा गर्भ स्थापित किया जाता है. थायराइड की समस्या के कारण यह प्रक्रिया बाधित हो जाती है. और महिला का गर्भधारण काफी मुश्किल हो जाता है.
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थायराइड उपचार - Thyroid Treatment
इस अवस्था में डॉक्टर ब्लड टेस्ट करेंगे, जिससे टीएसएच और टी4 के स्तर की जांच की जाएगी. यह टेस्ट गर्भवती होने से पहले और गर्भधारण करने के बाद दोनों अवस्थाओं में किया जाता है.इस टेस्ट के जरिए थायराइड की स्थिति का पता चलता है. और उसी के अनुसार इलाज किया जाता है. ताकि मां और शिशु दोनों स्वस्थ रहें.
अगर आप अभी तक गर्भवती नहीं है, और आपने थायराइड चेक कराया है. तो तीन स्थितियां हो सकती हैं
या तो आपका थायराइड हारमोंस लेवल कम होगा.
या तो आपके शरीर का हारमोन लेवल सामान्य होगा.
या फिर आपके शरीर में हार्मोन लेवल आवश्यकता से अधिक अर्थात सामान्य से ज्यादा होगा.
इन सब परिस्थितियों में सामान्य होना सबसे ज्यादा जरूरी होता है. अगर थायराइड हार्मोन आपके शरीर में सामान्य से कम या ज्यादा बन रहा है, तो यह थायराइड की समस्या होती है.
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इस परिस्थिति में डॉक्टर आपको एंटी थायराइड मेडिसिंस का प्रयोग करके आपके थायराइड लेवल को मेंटेन करेंगे और उसके बाद चेक करेंगे.
फिर उसके बाद जब आपका थायराइड लेवल सामान्य हो जाएगा तो उसके बाद आपको प्रेगनेंसी के लिए हरी झंडी दे सकते हैं.
वहीं अगर आपको थायराइड की गंभीर समस्या है, तो इसके लिए डॉक्टर रेडियोएक्टिव आयोडीन या फिर सर्जरी करके आप का इलाज करते हैं.
फिर आपको फिर आपका थायराइड नार्मल हो जाता है. उसके बाद आपसे एक माह तक इंतजार करने के लिए कहा जाता है.
उसके बाद आपको गर्भधारण के लिए हरी झंडी दे दी जाती है. यह इसलिए होता है ताकि आपके गर्भस्थ शिशु पर थेरेपी का कोई असर नहीं हो.
अगर आप ग्रेव डिजीज का इलाज करवा रही हैं, तो इस दौरान ली जा रहीं दवाइयों का बुरा असर मां और शिशु पर पड़ सकता है.
इसलिए, गर्भधारण करने से पहले अपने डॉक्टर से बात करें. वो आपकी स्थिति के अनुसार दवा की मात्रा तय करेंगे.
इससे आपको हाइपरथायराइडिज्म के कारण गर्भावस्था में होने वाली समस्या, जैसे – गर्भपात, प्रीक्लेम्पसिया यानी उच्च रक्तचाप और समय पूर्व डिलीवरी की आशंका काफी हद तक कम हो जाएगी.
दोस्तों हमने जो उपचार आपको थायराइड की समस्या को लेकर बताए हैं, हो सकता है कि आज के समय में कोई और लेटेस्ट टेक्नोलॉजी इस टाइम आ गई हो क्योंकि रोज-रोज नई-नई सर्च होती हैं. तो और भी तरीके डॉक्टर के पास हो सकते हैं. जिससे कि वह आपके थायराइड का इलाज करें.
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हमारे कहने का उद्देश यहां पर सिर्फ इतना है कि प्रेग्नेंसी में थायराइड बिल्कुल लिमिट में होना चाहिए. ना ज्यादा कम ना थोड़ा अधिक.
क्योंकि दोनों ही अवस्था में अगर थायराइड पहुंच जाता है, तो बच्चे के विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है.
कई बार देखने में ऐसा भी आता है, कि बच्चे का विकास रुक जाता है. और गर्भपात करवाने तक की नौबत आ जाती है. तो इसलिए थायराइड को सीरियस लेकर चले.
अगर आपको बार बार गर्भपात की समस्या हो रही है, तो आप अपना थायराइड अवश्य चेक कराएं क्योंकि इसकी वजह से भी गर्भपात की समस्या होती है.
उसके बाद आपको गर्भधारण के लिए हरी झंडी दे दी जाती है. यह इसलिए होता है ताकि आपके गर्भस्थ शिशु पर थेरेपी का कोई असर नहीं हो.
अगर आप ग्रेव डिजीज का इलाज करवा रही हैं, तो इस दौरान ली जा रहीं दवाइयों का बुरा असर मां और शिशु पर पड़ सकता है.
इसलिए, गर्भधारण करने से पहले अपने डॉक्टर से बात करें. वो आपकी स्थिति के अनुसार दवा की मात्रा तय करेंगे.
इससे आपको हाइपरथायराइडिज्म के कारण गर्भावस्था में होने वाली समस्या, जैसे – गर्भपात, प्रीक्लेम्पसिया यानी उच्च रक्तचाप और समय पूर्व डिलीवरी की आशंका काफी हद तक कम हो जाएगी.
दोस्तों हमने जो उपचार आपको थायराइड की समस्या को लेकर बताए हैं, हो सकता है कि आज के समय में कोई और लेटेस्ट टेक्नोलॉजी इस टाइम आ गई हो क्योंकि रोज-रोज नई-नई सर्च होती हैं. तो और भी तरीके डॉक्टर के पास हो सकते हैं. जिससे कि वह आपके थायराइड का इलाज करें.
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हमारे कहने का उद्देश यहां पर सिर्फ इतना है कि प्रेग्नेंसी में थायराइड बिल्कुल लिमिट में होना चाहिए. ना ज्यादा कम ना थोड़ा अधिक.
क्योंकि दोनों ही अवस्था में अगर थायराइड पहुंच जाता है, तो बच्चे के विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है.
कई बार देखने में ऐसा भी आता है, कि बच्चे का विकास रुक जाता है. और गर्भपात करवाने तक की नौबत आ जाती है. तो इसलिए थायराइड को सीरियस लेकर चले.
अगर आपको बार बार गर्भपात की समस्या हो रही है, तो आप अपना थायराइड अवश्य चेक कराएं क्योंकि इसकी वजह से भी गर्भपात की समस्या होती है.
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